ओशो की मीरा
ओशो की मीरा आइये आज आपको भगवान " ओशो " से गहन प्रेम की एक अमर प्रेम कथा बताते हैं । सू एपलटन जिसे बाद में सन्यास का नाम मिला " विवेक " । वे जर्मनी में पैदा हुई थी , पेसे से वकील थी , अमीर थी , सफल थी , प्रतिष्ठित थी , पर सब कुछ होते हुये भी जीवन में कुछ अधूरापन लगता था । जर्मनी के उसके घर में एक बार एक भारतीय अनायास ही उसके घर के अन्दर चला आया । नाम था रवि । सू ने पूछा : कहिए कैसे आना हुआ । तो उसने बोले : " बस मन किया तो अंदर चला आया " उसने गले में एक माला पहन रखी थी । उस के लॉकेट में ओशो की एक सुंदर सी तस्वीर थी । जो सन्यास के समय ओशो अपने सन्यासियों को देते थे । जैसे ही सू ने उस तस्वीर को देख , देखती ही रेह गयी ..! उसे लगा जैसे उसके अन्दर का सूना पन भर गया हो । सू ने पूछा ये किसकी तस्वीर है ? रवि ने बताया - ये रजनीश हैं उसके गुरु । सू ने पूछा : ये कहाँ मिलेंगे ..? रवि न